1. इसलिए आजकल प्रतिनिधिक लोकतंत्र चलता हैं। 2. इसलिए आजकल प्रतिनिधिक लोकतंत्र चलता हैं। 3. केन्द्रित प्रतिनिधिक लोकतंत्र , ठाकुरदास बंग, विकेन्द्रित सहभागी लोकतंत्र, शंका एवं समाधान | 4. “एक सुनियोजित अर्थव्यवस्था में कोई साम्यवाद या मार्क्सवाद नहीं है बल्कि प्रतिनिधिक लोकतंत्र और सामाजिक न्याय असली तत्व हैं. ” 5. प्रतिनिधिक लोकतंत्र की कल्पना उस समय की गयी थी, जब जनता सीधे अपनी बात नहीं पहुंचा सकती थी।6. यह डरावना संकट भारत के प्रतिनिधिक लोकतंत्र के पूरी तरह से असफल होने की वजह से पैदा हुआ है। 7. अशिक्षित लोगों के प्रतिनिधिक लोकतंत्र ने राजनीतिक व्यवस्था के संचालकों को अपने लिए धन इकट्ठा करने की सुभीता दी। 8. यह डरावना संकट भारत के प्रतिनिधिक लोकतंत्र के पूरी तरह से असफल होने की वजह से पैदा हुआ है. 9. “एक सुनियोजित अर्थव्यवस्था में कोई साम्यवाद या मार्क्सवाद नहीं है बल्कि प्रतिनिधिक लोकतंत्र और सामाजिक न्याय असली तत्व हैं. ” 10. “एक सुनियोजित अर्थव्यवस्था में कोई साम्यवाद या मार्क्सवाद नहीं है बल्कि प्रतिनिधिक लोकतंत्र और सामाजिक न्याय असली तत्व हैं. ”